गज़ल

gazal

कभी वो अपना इरादा बदल भी देता हे
मगर कभी वो मेरे साथ चल भी देता हे
मसीह हे वो ज़माने का शक नहीं लेकिन
कभी वो तितली के पर को मसल भी देता हे
वो बादशाही भी देता हे पर सुनो उसके
गुरूर से …

BADAL BHI DETA HE

कभी वो अपना इरादा बदल भी देता हे
मगर कभी वो मेरे साथ चल भी देता हे
मसीह हे वो ज़माने का शक नहीं लेकिन
कभी वो तितली के पर को मसल भी देता हे
वो बादशाही भी देता हे पर सुनो उसके
गुरूर से …

गज़ल

सियासत है सियासत मे रवादारी नही होती
जंगअपनो ही से लड़नी हो तो तैयारी नहीहोती,
अजीज़ो का सुलूके हुस्न कब का मार ही देता
जो हम को भूलने की एसी बीमारी नही होती
वो कड़वा बोलते है बोलने दो मत बुरा मानो
वो एेसी उम्र …