कभी वो अपना इरादा बदल भी देता हे
मगर कभी वो मेरे साथ चल भी देता हे
मसीह हे वो ज़माने का शक नहीं लेकिन
कभी वो तितली के पर को मसल भी देता हे
वो बादशाही भी देता हे पर सुनो उसके
गुरूर से …
कभी वो अपना इरादा बदल भी देता हे
मगर कभी वो मेरे साथ चल भी देता हे
मसीह हे वो ज़माने का शक नहीं लेकिन
कभी वो तितली के पर को मसल भी देता हे
वो बादशाही भी देता हे पर सुनो उसके
गुरूर से …
सियासत है सियासत मे रवादारी नही होती
जंगअपनो ही से लड़नी हो तो तैयारी नहीहोती,
अजीज़ो का सुलूके हुस्न कब का मार ही देता
जो हम को भूलने की एसी बीमारी नही होती
वो कड़वा बोलते है बोलने दो मत बुरा मानो
वो एेसी उम्र …